Omprakash valmiki biography

ओमप्रकाश वाल्‍मीकि

ओमप्रकाश वाल्‍मीकि
जन्म30 जून 1950
बरला गांव, मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) जिला
मौत17 नवम्बर 2013(2013-11-17) (उम्र 63 वर्ष)
देहरादून
पेशारचनाकार
राष्ट्रीयताभारतीय
नागरिकताभारत

ओमप्रकाश वाल्मीकि (30 जून 1950 - 17 नवम्बर 2013) वर्तमान दलित साहित्य के प्रतिनिधि रचनाकारों में से एक हैं।[1] हिंदी में दलित साहित्य के विकास में ओमप्रकाश वाल्मीकि की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।

आरंभिक जीवन

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ओमप्रकाश वाल्मीकि का जन्‍म 30 जून 1950 को मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) जिले के बरला गांव में एक वाल्‍मीकि परिवार में हुआ। उन्‍होंने अपनी शिक्षा अपने गांव और देहरादून से प्राप्‍त की। उनका बचपन सामाजिक एवं आर्थिक कठिनाइयों में बीता। आरंभिक जीवन में उन्हें जो आर्थिक, सामाजिक और मानसिक कष्ट झेलने पड़े उसकी उनके साहित्य में मुखर अभिव्यक्ति हुई है। वाल्मीकि कुछ समय तक महाराष्ट्र में रहे। वहाँ वे दलित लेखकों के संपर्क में आए और उनकी प्रेरणा से भीमराव अंबेडकर की रचनाओं का अध्ययन किया। इससे उनकी रचना-दृष्टि में बुनियादी परिवर्तन हुआ। वे देहरादून स्थित आर्डिनेंस फॅक्टरी में एक अधिकारी के रूप में काम करते हुए अपने पद से सेवानिवृत्‍त हो गए।

दलित साहित्य की अवधारणा

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वाल्मीकि के अनुसार दलितों द्वारा लिखा जाने वाला साहित्य ही दलित साहित्य है। उनकी मान्यतानुसार दलित ही दलित की पीडा़ को बेहतर ढंग से समझ सकता है और वही उस अनुभव की प्रामाणिक अभिव्यक्ति कर सकता है। इस आशय की पुष्टि के तौर पर रचित अपनी आत्मकथाजूठन[2] में उन्होंने वंचित वर्ग की समस्याओं पर ध्यान आकृष्ट किया है।

रचनात्मक अवदान

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ओमप्रकाश वाल्मीकि ने अस्सी के दशक से लिखना शुरू किया, लेकिन साहित्य के क्षेत्र में वे चर्चित और स्थापित हुए 1997 में प्रकाशित अपनी आत्मकथा ‘जूठन’ से। इस आत्मकथा से पता चलता है कि किस तरह वीभत्स उत्पीड़न के बीच एक दलित रचनाकार की चेतना का निर्माण और विकास होता है। किस तरह लंबे समय से भारतीय समाज-व्यवस्था में सबसे निचले पायदान पर खड़ी ‘चूहड़ा’ जाति का एक बालक ओमप्रकाश सवर्णों से मिली चोटों-कचोटों के बीच परिस्थितियों से संघर्ष करता हुआ दलित आंदोलन का क्रांतिकारी योद्धा ओमप्रकाश वाल्मीकि बनता है। दरअसल, यह दलित चेतना के निर्माण का दहकता हुआ दस्तावेज है।[3][4]

प्रमुख कृतियाँ

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  • कविता संग्रह:-सदियों का संताप, बस्स!

    Madam gres biography

    बहुत हो चुका, अब और नहीं, शब्द झूठ नहीं बोलते, चयनित कविताएँ (डॉ॰ रामचंद्र)

  • कहानी संग्रह:- सलाम, घुसपैठिए, अम्‍मा एंड अदर स्‍टोरीज, छतरी
  • आत्मकथा:- जूठन (अनेक भाषाओँ में अनुवाद)
  • आलोचना:- दलित साहित्य का सौंदर्य शास्त्र, मुख्यधारा और दलित साहित्य, सफाई देवता

दलित साहित्य: अनुभव, संघर्ष एवं यथार्थ (२०१३) राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली

  • नाटक:- दो चेहरे, उसे वीर चक्र मिला था
  • अनुवाद:- सायरन का शहर (अरुण काले) कविता-संग्रह का मराठी से हिंदी में अनुवाद, मैं हिन्दू क्यों नहीं (कांचा एलैया) लो अंग्रेजी पुस्तक का हिंदी अनुवाद, लोकनाथ यशवंत की मराठी कविताओं का हिंदी अनुवाद
  • अन्य:- 60 से अधिक नाटकों में अभिनय, मंचन एवं निर्देशन, अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय सेमीनारों में भागीदारी

सम्मान

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उन्हें सन् 1993 में डॉ॰ अंबेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार, सन् 1995 में परिवेश सम्मान, न्यू इंडिया बुक पुरस्कार 2004, कथाक्रम सम्मान 2001, 8वां विश्व हिंदी सम्मलेन 2006 न्यूयोर्क, अमेरिका सम्मान और साहित्यभूषण पुरस्कार (2008-2009) से अलंकृत किया जा चुका है।

सन्दर्भ

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  1. ↑Indian Literature : Protract Introduction |publisher=Pearson Education India|isbn=978-81-317-0520-9|page=322
  2. "संग्रहीत प्रति".

    मूल से 10 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जून 2012.

  3. ↑[1]Archived 2013-12-02 at righteousness वेबैक मशीनसमता के पैरोकार, जनसत्‍ता, 24 नवम्बर
  4. "प्रतिलिपि". मूल से 6 जुलाई 2012 को पुरालेखित.

    Aredia ventura biography samples

    अभिगमन तिथि 5 जून 2012.

बाहरी कड़ियाँ

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बिरसा मुण्डा सम्मान[मृत कड़ियाँ]

HINDI